पुस्तक समीक्षा:
प्यार आत्मीय है, है ना? लेकिन क्या हो अगर किसी के रिश्ते में कोई गलतफहमी नजर आए। ऐसी ही दिल को छू लेने वाली प्रेम कहानी है पापा कहते हैं। कहानी एक लड़के राघव की है जो एक बड़ी लड़की निधि से प्यार करता है। उसे देखने के बाद उसका जीवन बस खिल उठता है लेकिन उसके दोस्त अविश्वास का बीज डालते हैं और कहते हैं कि निधि के कई प्रेमी हैं।
निधि एक कॉलेज की छात्रा है और एक धनी परिवार की एकलौती संतान है। राघव निधि से छोटा स्कूल का लड़का है और एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखता है। पढ़ाई पर उनका ध्यान ज्यादातर अपने प्यार या उसके प्रति अधिक ध्यान के कारण पिछड़ जाता है।
धीरे-धीरे जब वह ठगा हुआ महसूस करता है और उसे लगता है कि निधि उसे धोखा दे रही है। वह बदला लेना चाहता है और अपने अध्ययन और अपने लेखन पर ध्यान केंद्रित करता है। वह एक अच्छे लेखक हैं लेकिन उनमें इस बात का विश्वास नहीं है कि यह उनके लिए एक दिन पेशा बन सकता है।
यह देखना काफी पेचीदा था कि कहानी कैसे बदलती है और उनका प्यार सच्चा या नकली था। राघव दौलत में अपने स्तर को ऊचां करने के लिए कैसे मेहनत करता है और क्या वह सफल होगा? क्या उसे फिर से निधि मिलेगी? जब मैं यह किताब पढ़ रहा थी तो ये सारे सवाल मेरे इर्द-गिर्द घूम रहे थे।
लेखक ने पात्रों को अच्छी तरह से लिखा है और कहानी अच्छी तरह से रची गई है। भावनाओं और भावनाओं के अनेक रंगों को बखूबी चित्रित किया गया है। तेज रफ्तार प्रेम कहानी पढ़ने लायक है।
मुझे इस किताब को पढ़ना अच्छा लगा और मैं इस दिल को छू लेने वाली किताब की सिफारिश सभी को करूंगी।
पढ़ने का आनंद लो!
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