Shahar me shayar ki shadi ki saalgarah |Book review


 शहर में शायर की शादी की सलगिरह" कविता और गद्य का एक रमणीय मिश्रण है जो एक अमिट छाप छोड़ता है। अपने हार्दिक छंदों और स्पष्ट चिंतन के माध्यम से, पुस्तक पाठकों को मानवीय भावनाओं के स्पेक्ट्रम का पता लगाने के लिए आमंत्रित करती है।


यह पुस्तक कुछ कहानियों के साथ काव्य छंदों का संग्रह है। लेखक के शब्दों में कच्ची ईमानदारी एक भावनात्मक प्रतिध्वनि पैदा करती है जो लंबे समय तक बनी रहती है।


कुछ छंद जिन्होंने मुझे बहुत प्रभावित किया:

🍎"झूठा तेरा वादा पर सच्चा  मेरा इरादा,

     थोडी अच्छाई देदूं , तुझसे कुछ बुराई लेके ॥"

ज्यादातर लोग जो प्यार में असफल हो जाते हैं या प्रेमी से धोखा खा जाते हैं, उनके पास कहने के लिए एक ही बात होती है कि मुझे एक गलत इंसान से प्यार हो गया, लेकिन फिर भी मैं आपको अपनी कुछ बेगुनाही पेश कर सकता हूं।


🍎 "उठाते हो सवाल , कभी जवाब भी रखा करो,

   मचाए कितने बवाल , हिसाब भी रखा करो !

    सभी को देते हो जिसको पढने की नसीहत ,

    तुम अपने पास में वो किताब भी रखा करो !"

प्रश्न पूछने से पहले अपने कर्मों का हिसाब अवश्य रखें..या दूसरों को मार्गदर्शन देने से पहले अपना मार्गदर्शन अवश्य करें. ..ऐसे लोग जो दूसरों की जिंदगी में ताक-झांक करते रहते हैं उन्हें एक बार अपनी जिंदगी में आत्ममंथन करने की जरूरत है।


अंशुमान की कविता भावनाओं की एक श्रृंखला को उद्घाटित करती है। विशेषकर ग़ज़लें पाठकों को एक मार्मिक यात्रा पर ले जाती हैं। कविता के माध्यम से व्यक्तिगत और सामाजिक विषयों को संबोधित करने की उनकी क्षमता सराहनीय है। दिल को छूने वाले छंद गढ़ने में उनकी कुशलता जगजाहिर है।


कुल मिलाकर, "शहर में शायर की शादी की सलगिरह" शब्दों की ताकत का एक प्रमाण है। संग्रह के विविध विषय कुछ पाठकों को विशिष्ट भावनाओं या विषयों की गहन खोज के लिए उत्सुक कर सकते हैं। पढ़ने लायक, अवश्य लें!


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