Thursday, June 1, 2023

चांद सांवला है by Sudha Sikrawar | Book review


 Book review:

" Chaand Sanwala Hai " by Sudha Sikrawar is an enthralling  collection of 17 captivating and insightful stories that delve deep into the complexities of family dynamics and shed light on important societal issues. The stories in this book are not only adorable and heart-warming but also thought-provoking.

One of the stories, भृम breaks the assumptions of many people . The story pain points the core values that we are unknowingly prevailing in our daily routine and dont possess the courage to abolish some of the wrong traditions.

Another story "पंख" where Sudha ji depicts the hearty desire of three generations to fly or free themselves to live their life as per their own wishes. But to fly one needs to face the facets of life and the hurdles across . A strong desire to free or stay as per bound is completely your will. The hardships , emotional backdrop and obstacles on the way are to be crossed to complete your wings ' desire.

Sidha ji  skilfully addresses issues such as dowry, the status of women, and various other social and domestic elements that often remain unnoticed or neglected. Language is lucid and easily relatable.  Her storytelling way is quite engrossing and heart touching. 

Overall, " Chaand Sanwala Hai " is an heart warming  book that stands out for its captivating stories, insightful exploration of family dynamics, and courageous tackling of important societal issues. A heart warming read that compells you to think many perspectives. 

पुस्तक समीक्षा:
सुधा सिकरवार की "चांद सांवला है" 17 मनोरम और आनंददायक कहानियों का एक आकर्षक संग्रह है जो परिवार की गतिशीलता की जटिलताओं में गहराई तक उतरती है और महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डालती है। इस पुस्तक की कहानियाँ न केवल मनमोहक और हृदयस्पर्शी हैं बल्कि विचारोत्तेजक भी हैं।

कहानियों में से एक, "भृम" कई लोगों की धारणाओं को तोड़ता है। कहानी का दर्द उन मुख्य मूल्यों की ओर इशारा करता है जो हम अनजाने में अपनी दिनचर्या में प्रचलित कर रहे हैं और कुछ गलत परंपराओं को खत्म करने का साहस नहीं रखते हैं।

एक और कहानी "पंख" जहां सुधा जी ने तीन पीढ़ियों की उड़ान भरने या अपनी इच्छा के अनुसार अपना जीवन जीने के लिए स्वतंत्र होने की हार्दिक इच्छा को दर्शाया है। लेकिन उड़ने के लिए जीवन के पहलुओं और बाधाओं का सामना करना पड़ता है। मुक्त होने या बंधन में रहने की प्रबल इच्छा पूर्णतः आपकी इच्छा है। अपने पंखों की इच्छा को पूरा करने के लिए रास्ते में आने वाली कठिनाइयों, भावनात्मक पृष्ठभूमि और बाधाओं को पार करना होगा।

सुधा जी दहेज, महिलाओं की स्थिति, और कई अन्य सामाजिक और घरेलू तत्वों जैसे मुद्दों को कुशलता से संबोधित करती हैं जो अक्सर अनजान या उपेक्षित रहते हैं। भाषा स्पष्ट और आसानी से संबंधित है। उनका कहानी कहने का तरीका काफी मनोरंजक और दिल को छू लेने वाला है।

कुल मिलाकर, "चांद सांवला है" एक दिल को छू लेने वाली किताब है जो अपनी मनोरम कहानियों, परिवार की गतिशीलता की अंतर्दृष्टिपूर्ण खोज और महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों से निपटने के लिए साहसी है। एक दिल को छू लेने वाला लेख जो आपको कई दृष्टिकोणों पर सोचने पर मजबूर करता है।

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